तंज करना है मुझ पर अजी कीजिए
तंज करना है मुझ पर अजी कीजिए
कर रहे हैं सभी आप भी कीजिए

@ali-zaryoun
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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तंज करना है मुझ पर अजी कीजिए
कर रहे हैं सभी आप भी कीजिए
नजरअंदाज हो जाने का ज़हर अपनी नसों में भर रहा है कौन जाने
बहोत सर-सब्ज़ ग़ज़लों नज़्मों वाला अपने अंदर मर रहा है कौन जाने
छूकर दर-ए-शिफा को शिफा हो गया हूं मैं
इस अरसा-ए-वबा में दुआ हो गया हूं मैं
उस मोहल्ले के सब घरों की खैर
और घरों में जले दियों की खैर
लहजे में खनक बात में दम है तो करम है
गर्दन दर-ए-हैदर पे जो ख़म है तो करम है
आसान तो ये कार-ए-वफ़ा होता नहीं है
कहने को तो कहते हैं किया होता नहीं है
हो जिसे यार से तस्दीक़ नहीं कर सकता
वो किसी शेर की तज़हीक नहीं कर सकता
नज़र अंदाज है घायल पड़े है
कई दरिया कई जंगल पड़े है
आज भी तिनगी की क़िस्मत में
सम-ए-क़ातिल है सलसबील नहीं
तूर-ए-सीना है सर करोगे मियां
अपने अंदर सफर करोगे मियां
प्यार में जिस्म को यकसर न मिटा जाने दे
कुर्बत-ए-लम्स को गाली ना बना जाने दे
इस तरह से ना आजमाओ मुझे
उसकी तस्वीर मत दिखाओ मुझे
अरे क्या सीख सकोगें भला हिजरत से हमारी
तुम लोग मजा लेते हो हालत से हमारी
सब कर लेना लम्हें जाया मत करना
गलत जगह पर जज्बे जाया मत करना
खयाल में भी उसे बेरिदा नहीं किया है
ये जुल्म मुझसे नहीं हो सका, नहीं किया है
जागना और जगा के सो जाना
रात को दिन बना के सो जाना
साज़ तैयार कर रहा हूँ मैं
और खबरदार कर रहा हूँ मैं
डरने के लिए है न नसीहत के लिए है
जिस उम्र में तुम हो वो मोहब्बत के लिए है
शाहसाज़ी में रियायत भी नहीं करते हो
सामने आकर हुकूमत भी नहीं करके हो
हालत ए हिज्र में हूँ यार मेरी सम्त न देख
तू न हो जाए गिरफ्तार, मेरी सम्त न देख