@ali-zaryoun
Ali Zaryoun, born in 1983 in Faisalabad, is a versatile multilingual poet. Dive into his diverse Shayari collection, spanning Urdu, Hindi, Farsi, Punjabi, and English, and save your favorite verses.
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गुल-ए-शबाब महकता है और बुलाता है
मेरी ग़ज़ल कोई पश्तो में गुनगुनाता है
जो इस्म-ओ-जिस्म को बाहम निभाने वाला नही
मैं ऐसे इश्क़ पर ईमान लाने वाला नहीं
चमकते दिन बहुत चालाक है शब जानती है
उसे पहले नहीं मालूम था अब जानती है
यार तो उसके सालगिराह पर क्या क्या तोहफें लाए हैं
और इधर हमने उसकी तस्वीर को शेर सुनाएं हैं
बात मुकद्दर की है सारी वक्त का लिक्खा मारता है
कुछ सजदों में मर जाते हैं कुछ को सजदा मारता है
मन जिस का मौला होता है
वो बिल्कुल मुझ सा होता है
अपने यारों से बहुत दूर नहीं होता था
यार तू उन दिनों मशहूर नहीं होता था
हम यूँ ही नहीं शह के अज़ादार हुए हैं
नस्ली हैं तो अस्ली के परस़्तार हुए हैं
मुझे तो सब तमाशा लग रहा है
खुदा से पूछ उसे क्या लग रहा है
वो ही कर्तबा तेरी याद का, वो ही नै नवा ए खयाल है
वो ही मैं जो था तेरे हिज्र में, वो ही मशहद ए खद्दो खाल है