उस मोहल्ले के सब घरों की खैर
उस मोहल्ले के सब घरों की खैर
और घरों में जले दियों की खैर
मां मैं कुर्बान तेरे गुस्से पर
बाबा जानी की झिड़कियों की खैर
तेरे हम-ख्वाब दोस्तों के निसार
तेरी हम-नाम लड़कियों की खैर
जो तेरे खद्दो खाल पर होंगे
तेरे बेटौ की बेटियों की खैर
जिनका सरदार ओ पेशवा में हूं
तेरे हाथो पूछे हुओं की खैर
टूटी-फूटी लिखाई के सदके
पहली पहली मोहब्बतों की खैर
दुश्मनों के लिए दुआ यानी
तेरी जानिब के दोस्तों की खैर
फेसबुक से जो दूर बैठे हैं
उन फकीरों की बैठकों की खैर
कार में बाग़ खिल गया जैसे
गुलबदन तेरी खुशबुओं की खैर
वो जो सीनों पे डस के हंसती है
उन हवसनाक नागिनों की खैर