Shayari Page
GHAZAL

साज़ तैयार कर रहा हूँ मैं

साज़ तैयार कर रहा हूँ मैं

और खबरदार कर रहा हूँ मैं

तुमको शायद बुरा लगे, लेकिन

देख के प्यार कर रहा हूँ मैं

हाँ! नहीं चाहिए ये ताज और तख़्त

साफ़ इन्कार कर रहा हूँ मैं

कोई जाकर उसे बता तो दे

जिसका किरदार कर रहा हूँ मैं

आज से, खुद को तेरी हालत से

दस्तबरदार कर रहा हूँ मैं

दो जहाँ मुझको मिल रहे हैं, मगर

तुझ पर इसरार कर रहा हूँ मैं

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