अब तो पाँच मिनट के अंदर चेहरे बदले जाते हैं
अब तो पाँच मिनट के अंदर चेहरे बदले जाते हैं
जीवन मिट्टी हो जाता था एक मुहब्बत होती थी

@ali-zaryoun
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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अब तो पाँच मिनट के अंदर चेहरे बदले जाते हैं
जीवन मिट्टी हो जाता था एक मुहब्बत होती थी
ये तुम सब मिल के जो कुछ कह रहे हो
मैं कह सकता हूँ पर कहना नहीं है
वो आँखें बुझ चुकी होंगी नज़ारा हो चुका होगा
'अली' वो शख़्स अब दुनिया को प्यारा हो चुका होगा
अव्वल तो मैं नाराज़ नहीं होता हूँ लेकिन
हो जाऊँ तो फिर मुझसा बुरा होता नहीं है
उसूली तौर पे मर जाना चाहिए था मगर
मुझे सुकून मिला है तुझे जुदा कर के
तेरा बनता था कि तू दुश्मन हो
अपने हाथों से खिलाया था तुझे
मना भी लूँगा गले भी लगाऊँगा मैं 'अली'
अभी तो देख रहा हूँ उसे ख़फ़ा कर के
मुझको भी उन्हीं में से कोई एक समझ ले
कुछ मसअले होते हैं ना जो हल नहीं होते
मैं भी इक शख़्स पे इक शर्त लगा बैठा था
तुम भी इक रोज़ इसी खेल में हारोगे मुझे
कोई शहर था जिसकी एक गली
मेरी हर आहट पहचानती थी
पागल कैसे हो जाते हैं
देखो ऐसे हो जाते हैं
आदमी देश छोड़े तो छोड़े 'अली'
दिल मे बसता हुआ घर नहीं छोड़ता
एक आवाज़ कि जो मुझको बचा लेती है
ज़िन्दगी आख़री लम्हों में मना लेती है
ये जो हिजरत के मारे हुए हैं यहाँ
अगले मिसरे पे रो के कहेंगे कि हाँ
मिले किसी से गिरे जिस भी जाल पर मेरे दोस्त
मैं उसको छोड़ चुका उसके हाल पर मेरे दोस्त
कोई दिक़्क़त नहीं है गर तुम्हें उलझा सा लगता हूँ
मैं पहली मर्तबा मिलने में सबको ऐसा लगता हूँ
चाय पीते हैं कहीं बैठ के दोनों भाई
जा चुकी है ना तो बस छोड़ चल आ जाने दे
सादा हूँ और ब्रैंड्स पसंद नहीं मुझको
मुझ पर अपने पैसे ज़ाया मत करना
यार बिछड़कर तुमने हँसता बसता घर वीरान किया
मुझको भी आबाद न रक्खा अपना भी नुक़्सान किया
क्या बोला मुझे ख़ुद को तुम्हारा नहीं कहना
ये बात कभी मुझसे दुबारा नहीं कहना