मैं भी इक शख़्स पे इक शर्त लगा बैठा था

मैं भी इक शख़्स पे इक शर्त लगा बैठा था

तुम भी इक रोज़ इसी खेल में हारोगे मुझे


ईद के दिन की तरह तुमने मुझे ज़ाया किया

मैं समझता था मुहब्बत से गुज़ारोगे मुझे