Shayari Page
SHER

कोई शहर था जिसकी एक गली

कोई शहर था जिसकी एक गली

मेरी हर आहट पहचानती थी

मेरे नाम का इक दरवाज़ा था

इक खिड़की मुझको जानती थी

Comments

Loading comments…