अस्र के वक़्त मेरे पास न बैठ
अस्र के वक़्त मेरे पास न बैठ
मुझ पे इक साँवली का साया है

@ali-zaryoun
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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अस्र के वक़्त मेरे पास न बैठ
मुझ पे इक साँवली का साया है
बात भी कीजिए देख भी लीजिए
देख भी लीजिए बात भी कीजिए
उसे किसी से मोहब्बत थी और वो मैं नहीं था
ये बात मुझसे ज़ियादा उसे रुलाती थी
किसी बहाने से उसकी नाराज़गी ख़त्म तो करनी थी
उसके पसंदीदा शाइर के शेर उसे भिजवाए हैं
तुझे किसी ने ग़लत कह दिया मेरे बारे
नहीं मियाँ मैं दिलों को दुखाने वाला नहीं
हालत जो हमारी है तुम्हारी तो नहीं है
ऐसा है तो फिर ये कोई यारी तो नहीं है
मैं सोचता हूँ न जाने कहाँ से आ गए हैं
हमारे बीच ज़माने कहाँ से आ गए हैं
चादर की इज़्ज़त करता हूँ और पर्दे को मानता हूँ
हर पर्दा पर्दा नइँ होता इतना मैं भी जानता हूँ
मैंने उससे प्यार किया है मिल्किय्यत का दावा नइँ
वो जिसके भी साथ है मैं उसको भी अपना मानता हूँ
ख़ुदा की शाइरी होती है औरत
जिसे पैरों तले रौंदा गया है
अजल से लेकर अब तक औरतों को
सिवाए जिस्म क्या समझा गया है
ये तू जो मोहब्बत में सिला माँग रहा है
ऐ शख़्स तू अंदर से भिकारी तो नहीं है
तन्हा ही सही लड़ तो रही है वो अकेली
बस थक के गिरी है अभी हारी तो नहीं है
तू जो हर रोज़ नए हुस्न पे मर जाता है
तू बताएगा मुझे इश्क़ है क्या जाने दे
मैंने बोला था याद मत आना
झूठ बोला था याद आओ मुझे
इस तरह से न आज़माओ मुझे
उसकी तस्वीर मत दिखाओ मुझे
सब कर लेना लम्हे ज़ाया मत करना
ग़लत जगह पर जज़्बे ज़ाया मत करना
ये बद-तमीज़ अगर तुझ से डर रहे हैं तो फिर
तुझे बिगाड़ के मैंने बुरा नहीं किया है
ख़याल में भी उसे बे-रिदा नहीं किया है
ये ज़ुल्म मुझसे नहीं हो सका नहीं किया है
जागना और जगा के सो जाना
रात को दिन बना के सो जाना