Shayari Page
GHAZAL

आसान तो ये कार-ए-वफ़ा होता नहीं है

आसान तो ये कार-ए-वफ़ा होता नहीं है

कहने को तो कहते हैं किया होता नहीं है

अव्वल तो मैं नाराज नहीं होता हूं लेकिन

हो जाऊं तो फिर मुझ सा बुरा होता नहीं है

गुस्से में तो वो मां की तरहा होता है बिल्कुल

लगता है खफा सच में खफा होता नहीं है

तुम मेरे लिए जंग करोगे अरे छोड़ो

तुमसे तो मियां मिलने भी आ होता नहीं है

हम अपनी मोहब्बत में समझ ले तो समझ ले

वैसे किसी बंदे में खुदा होता नहीं है

कहते हैं खुदा वो है की जो कह दे तो सब हो

वैसे मेरे कहने से भी क्या होता नहीं है

ईमान है या चांद को लाना है ज़मीं पर

कहते हो कि ले आता हूं ला होता नहीं है

मुझ पर जो अली खास करम है तो मेरे दोस्त

हर दिल भी तो मुझ जैसा सिया होता नहीं है

Comments

Loading comments…