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GHAZAL

शाहसाज़ी में रियायत भी नहीं करते हो

शाहसाज़ी में रियायत भी नहीं करते हो

सामने आकर हुकूमत भी नहीं करके हो

वॉल पर चीखते रहते हो कि मज़लूम हैं हम

और सिस्टम से बगावत भी नहीं करते हो

तुमसे क्या बात करूँ कौन कहाँ क़त्ल हुआ

तुम तो इस ज़ु़ल्म पर हैरत भी नहीं करते हो

अब मेरे हाल पर क्यूँ तुमको परेशानी है

अब तो तुम मुझसे मोहब्बत भी नहीं करते हो

प्यार करने की सनद कैसे तुम्हें जारी करूँ

तुम अभी ठीक से नफ़रत भी नहीं करते हो

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