इसी नदामत से उस के कंधे झुके हुए हैं
इसी नदामत से उस के कंधे झुके हुए हैं
कि हम छड़ी का सहारा लेकर खड़े हुए हैं

@ziya-mazkoor
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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इसी नदामत से उस के कंधे झुके हुए हैं
कि हम छड़ी का सहारा लेकर खड़े हुए हैं
किस तरह ईमान लाऊँ ख़्वाब की ताबीर पर
छिपकली चढ़ते हुए देखी है उस तस्वीर पर
इक ज़रा सा टूट कर मिस्मार हो जाता है क्या
आईने का आईना बेकार हो जाता है क्या
फ़ोन तो दूर वहाँ ख़त भी नहीं पहुँचेंगे
अब के ये लोग तुम्हें ऐसी जगह भेजेंगे
ये बात सोच के तेरे हुए हैं हम दोनों
कि तुझको ले के बहुत लड़ चुके हैं हम दोनों
ये और बात कि पानी है इसमें रम नहीं है
तिरा गिलास भी तेरे लबों से कम नहीं है
ज़ियादा कुछ नहीं हिम्मत तो कर ही सकते हैं
इक अच्छे काम की नीयत तो कर ही सकते हैं
न चलती है न रुकती है फ़क़ीरा
तिरी दुनिया भी अच्छी है फ़क़ीरा
ये मजमा तुमको सुनना चाहता है
वगरना शोर किस का मसअला है
बे-सबब उस के नाम की मैं ने
काट तो ली थी ज़िंदगी मैं ने
खुदा का शुक्र मेरा ठेकेदार अच्छा है
वगरना कौन ज़हीफों से काम लेता है
अजीब हादसा हुआ अजीब सानेहा हुआ
मैं जिंदगी की शाख से हरा भरा जुदा हुआ
शाह से छुपके कैदी ने शहज़ादी को पैगाम लिखा
जंग से भागने वालों में शहज़ादे का भी नाम लिखा
ये बात सोच के तेरे हुए हैं हम दोनों
के तुझ को ले के बहुत लड़ चुके हैं हम दोनों
वक़्त ही कम था फ़ैसले के लिए
वर्ना मैं आता मशवरे के लिए
इससे आपका दुख भी हो जाएगा अच्छा खासा कम
मुझ पर गुज़रे लम्हों में से कर दो बस एक लम्हा कम
हम तो आपसे अच्छी बातें करते हैं
आप ही हम से ऐसी बातें करते हैं
हमारे साथ कोई मसअला फुरात का है
वगरना इल्म उसे अपनी मुश्किलात का है
ऐसे उस हाथ से गिरे हम लोग
टूटते टूटते बचे हम लोग
तुम ने भी उन से ही मिलना होता है
जिन लोगों से मेरा झगड़ा होता है