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GHAZAL

शाह से छुपके कैदी ने शहज़ादी को पैगाम लिखा

शाह से छुपके कैदी ने शहज़ादी को पैगाम लिखा

जंग से भागने वालों में शहज़ादे का भी नाम लिखा

दूरदराज़ से आने वाले ख़त मेरी हमसाही के थे

इक दिन उसने हिम्मत करके अपना असली नाम लिखा

हम दोनों ने अपने अपने दीन पे कायम रहना था

घर की इक दीवार पे अल्लाह इक दीवार पे राम लिखा

एक मोहब्बत खत्म हुई तो दूसरी की तैयारी की

नई कहानी के आगाज में पहली का अंजाम लिखा

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