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GHAZAL

बे-सबब उस के नाम की मैं ने

बे-सबब उस के नाम की मैं ने

काट तो ली थी ज़िंदगी मैं ने

वो मुझे ख़्वाब में नज़र आया

और तस्वीर खींच ली मैं ने

आप का काम हो गया आक़ा

लाश दरिया में फेंक दी मैं ने

खेल तू इस लिए भी हारेगा

चाल चलनी है आख़िरी मैं ने

एक वो बे-हिजाब और उस पर

डाल रक्खी थी रौशनी मैं ने

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