Shayari Page
GHAZAL

ये बात सोच के तेरे हुए हैं हम दोनों

ये बात सोच के तेरे हुए हैं हम दोनों

कि तुझको ले के बहुत लड़ चुके हैं हम दोनों

ये सरहदें तो अभी कल बनी हैं मेरे दोस्त

हज़ारों साल इकट्ठे रहे हैं हम दोनों

कोई तो था वो जो अब हाफ़िज़े का हिस्सा नहीं

वो बात क्या थी जो भूले हुए हैं हम दोनों

तुम ऐसी बात किसी को नहीं बताओगी

मुझे लगा था बड़े हो चुके हैं हम दोनों

इकट्ठे सिर्फ़ गली से नहीं गुज़रने लगे

किसी के दिल से गुज़रने लगे हैं हम दोनों

हज़ारों जोड़े गुलाबों में छिप के बैठे हैं

ये और बात कि पकड़े गए हैं हम दोनों

Comments

Loading comments…