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GHAZAL

खुदा का शुक्र मेरा ठेकेदार अच्छा है

खुदा का शुक्र मेरा ठेकेदार अच्छा है

वगरना कौन ज़हीफों से काम लेता है

मिशाल खान तेरी उंगलियां नहीं टूटी

हमारी माओं के होटों का लम्स टूटा है

मैं उस हथेली पे रौशन हुआ , उसके बाद

वही हुआ जो चिराग़ों के साथ होता है

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खुदा का शुक्र मेरा ठेकेदार अच्छा है — Zia Mazkoor • ShayariPage