आपका काम हो गया साहब
आपका काम हो गया साहब
लाश दरिया में फेंक दी मैंने

@ziya-mazkoor
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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आपका काम हो गया साहब
लाश दरिया में फेंक दी मैंने
कोई कहता नहीं था लौट आओ
कि हम पैसे ही इतने भेजते थे
इस वक़्त मुझे जितनी ज़रूरत है तुम्हारी
लड़ते भी रहोगे तो मोहब्बत है तुम्हारी
बिठा दिया है सिपाही के दिल में डर उसने
तलाशी दी है दुपट्टा उतार कर उसने
मैं उन्हीं आबादियों में जी रहा होता कहीं
तुम अगर हँसते नहीं उस दिन मेरी तक़दीर पर
ये उसकी मोहब्बत है कि रुकता है तेरे पास
वरना तेरी दौलत के सिवा क्या है तेरे पास
क्या तुम तब भी ऐसे ही चुपचाप तमाशा देखोगे
इस मुश्किल में फँसने वाली अगर तुम्हारी बेटी हो
हवा चली तो उसकी शॉल मेरी छत पे आ गिरी
ये उस बदन के साथ मेरा पहला राब्ता हुआ
चारागर ऐ चारागर चिल्लाती थी
ज़ख़्मों को भी हाथ नहीं लगवाती थी
तुम ने भी उन से ही मिलना होता है
जिन लोगों से मेरा झगड़ा होता है
एक नज़र देखते तो जाओ मुझे
कब कहा है गले लगाओ मुझे
यहाँ से जाने की जल्दी किसको है तुम बताओ
ये सूटकेसों में कपड़े किसने रखे हुए हैं
ऐसे तेवर दुश्मन ही के होते हैं
पता करो ये लड़की किस की बेटी है
हम को नीचे उतार लेंगे लोग
इश्क़ लटका रहेगा पंखे से
वक़्त ही कम था फ़ैसले के लिए
वर्ना मैं आता मशवरे के लिए
जगह जगह न तअल्लुक़ ख़राब कर मेरा
तेरे लिए तो किसी से भी लड़ पड़ूँगा मैं
दौलत शोहरत बीवी बच्चे अच्छा घर और अच्छे दोस्त
कुछ तो है जो इन के बाद भी हासिल करना बाक़ी है
वक़्त ही कम था फ़ैसले के लिए
वर्ना मैं आता मशवरे के लिए