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मैं उन्हीं आबादियों में जी रहा होता कहीं

मैं उन्हीं आबादियों में जी रहा होता कहीं

तुम अगर हँसते नहीं उस दिन मेरी तक़दीर पर

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मैं उन्हीं आबादियों में जी रहा होता कहीं — Zia Mazkoor • ShayariPage