GHAZAL•
ये और बात कि पानी है इसमें रम नहीं है
By Zia Mazkoor
ये और बात कि पानी है इसमें रम नहीं है
तिरा गिलास भी तेरे लबों से कम नहीं है
उधार माँग के शर्मिंन्दा कर दिया उसने
वगरना ये कोई इतनी बड़ी रक़म नहीं है
तुम इसके सामने कैसे भी बैठ सकती हो
ये मेरा दोस्त है और इतना मुहतरम नहीं है
अजीब तर्ज़ के दुश्मन का सामना है मुझे
कमाँ में तीर नहीं हाथ में क़लम नहीं है
किसी के जाने से दिल टूट क्यों नहीं जाता
ये कैसा घर है जिसे हिजरतों का ग़म नहीं है