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GHAZAL

ये मजमा तुमको सुनना चाहता है

ये मजमा तुमको सुनना चाहता है

वगरना शोर किस का मसअला है

मुझे अब और कितना रोना होगा

तिरा कितना बक़ाया रह गया है

ख़ुशी महसूस करने वाली शय थी

परिन्दों को उड़ा कर क्या मिला है

दरीचे बन्द होते जा रहे हैं

तमाशा ठंडा पड़ता जा रहा है

तुम्हीं मज़मून बाँधो शायरी में

अपुन लहजा बनाना माँगता है

ये कासे जल्द भरने लग गए हैं

भिखारी बद्‌दुआ देने लगा है

तुम्हारी एक दिन की सोच है और

हमारा उम्र भर का तजरबा है

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ये मजमा तुमको सुनना चाहता है — Zia Mazkoor • ShayariPage