GHAZAL•
ये बात सोच के तेरे हुए हैं हम दोनों
By Zia Mazkoor
ये बात सोच के तेरे हुए हैं हम दोनों
के तुझ को ले के बहुत लड़ चुके हैं हम दोनों
ये सरहदे तो अभी कल बनी है मेरे दोस्त
हजारों साल इकट्ठे रहे हैं हम दोनों
कोई तो था वो जो अब हाफ़िज़े का हिस्सा नहीं
वो बात क्या थी जो भूले हुए हैं हम दोनों
तुम ऐसी बात किसी को नहीं बताऊंगी
मुझे लगा था बड़े हो चुके हैं हम दोनों
हजारों जोड़े गुलाबों में छुप के बैठे हैं
ये और बात के पकड़े गए हैैं हम दोनों