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GHAZAL

न चलती है न रुकती है फ़क़ीरा

न चलती है न रुकती है फ़क़ीरा

तिरी दुनिया भी अच्छी है फ़क़ीरा

तुम्हें हटना पड़ेगा रास्ते से

ये शाहों की सवारी है फ़क़ीरा

हमारे नातवां कन्धों पे मत रख

तसव्वुफ़ भारी गठरी है फ़क़ीरा

तिरी गद्दी को लेकर इतने झगड़े

अभी तो पहली पीढ़ी है फ़क़ीरा

फ़क़त ये सोच कर ख़ामोश हूँ मैं

तुम्हारी रोज़ी-रोटी है फ़क़ीरा

हम उसके आस्तां तक कैसे पहुँचे

बड़ी लम्बी कहानी है फ़क़ीरा

हमारे मानने वालों में हो जा

हमारा फ़ैज़ जारी है फ़क़ीरा

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