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GHAZAL

अजीब हादसा हुआ अजीब सानेहा हुआ

अजीब हादसा हुआ अजीब सानेहा हुआ

मैं जिंदगी की शाख से हरा भरा जुदा हुआ

वो खद्दोखाल देख कर सभी के होश उड़ गए

नहीं के सिर्फ आईना हवास वाख़्ता हुआ

हवा चली तो उसकी शाल मेरी छत पे आ गिरी

ये उस बदन के साथ मेरा पहला राब़्ता हुआ

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अजीब हादसा हुआ अजीब सानेहा हुआ — Zia Mazkoor • ShayariPage