GHAZAL•
हमारे साथ कोई मसअला फुरात का है
By Zia Mazkoor
हमारे साथ कोई मसअला फुरात का है
वगरना इल्म उसे अपनी मुश्किलात का है
मेरे हिसाब से माज़ुरी हुस्न है मेरा
अगर ये ऐब है तो भी खुदा के हाथ का है
इक आधे काम के ह़क़ में तो खैर मैं भी हूं
तुम्हारे पास तो दफ़्तर शिफारिशात का है
हमारी बात का जितना वसीअ पहलू है
जुबां पे लाने में नुकसान कायनात का है
हम उसके होने ना होने पे कितना लड़ रहे हैं
किसी के वास्ते यह खेल नफ्सियात का है