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GHAZAL

हमारे साथ कोई मसअला फुरात का है

हमारे साथ कोई मसअला फुरात का है

वगरना इल्म उसे अपनी मुश्किलात का है

मेरे हिसाब से माज़ुरी हुस्न है मेरा

अगर ये ऐब है तो भी खुदा के हाथ का है

इक आधे काम के ह़क़ में तो खैर मैं भी हूं

तुम्हारे पास तो दफ़्तर शिफारिशात का है

हमारी बात का जितना वसीअ पहलू है

जुबां पे लाने में नुकसान कायनात का है

हम उसके होने ना होने पे कितना लड़ रहे हैं

किसी के वास्ते यह खेल नफ्सियात का है

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