तू भी कब मेरे मुताबिक मुझे दुख दे पाया
तू भी कब मेरे मुताबिक मुझे दुख दे पाया
किस ने भरना था ये पैमाना अगर खाली था

@tehzeeb-hafi
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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तू भी कब मेरे मुताबिक मुझे दुख दे पाया
किस ने भरना था ये पैमाना अगर खाली था
एक दुख ये के तू मिलने नहीं आया मुझसे
एक दुख ये के उस दिन मेरा घर खाली था
तिलिस्म-ए-यार ये पहलू निकाल लेता है
कि पत्थरों से भी खुशबू निकाल लेता है
जो मेरे साथ मोहब्बत में हुई आदमी एक दफा सोचेगा
रात इस डर में गुजारी हमने कोई देखेगा तो क्या सोचेगा
मैं ज़िन्दगी में आज पहली बार घर नहीं गया
मगर तमाम रात दिल से माँ का डर नहीं गया
ये आईने में जो मुस्का रहा है
मेरे होठों का दुःख दोहरा रहा है
धूप पड़े उस पर तो तुम बादल बन जाना
अब वो मिलने आये तो उसको घर ठहराना।
ख़्वाबों को आँखों से मिन्हा करती है
नींद हमेशा मुझसे धोखा करती है
घर में भी दिल नहीं लग रहा काम पर भी नहीं जा रहा
जाने क्या ख़ौफ़ है जो तुझे चूम कर भी नहीं जा रहा
करता नहीं ख़याल तेरा इस ख़याल से
तंग आ गया अगर तू मेरी देखभाल से
रातें किसी याद में कटती हैं और दिन दफ़्तर खा जाता है
दिल जीने पर माएल होता है तो मौत का डर खा जाता है
जो तेरे साथ रहते हुए सोगवार हो
लानत हो ऐसे शख़्स पे और बेशुमार हो
तेरी तस्वीर हट जाएगी लेकिन
नज़र दीवार पर जाती रहेगी
अगर तू मुझसे शर्माती रहेगी
मुहब्बत हाथ से जाती रहेगी
अपना सब कुछ हार के लौट आए हो न मेरे पास
मैं तुम्हें कहता भी रहता था कि दुनिया तेज़ है
आज मिलना था बिछड़ जाने की नीयत से हमें
आज भी वो देर से पहुँचा है कितना तेज़ है
आज उसके गाल चूमे हैं तो अंदाज़ा हुआ
चाय अच्छी है मगर थोड़ा सा मीठा तेज़ है
आईने आँख में चुभते थे बिस्तर से बदन कतराता था
एक याद बसर करती थी मुझे मैं साँस नहीं ले पाता था
उसकी तस्वीरें हैं दिलकश तो होंगी
जैसी दीवारें हैं वैसा साया है
तुम्हें हुस्न पर दस्तरस है मोहब्बत वोहब्बत बड़ा जानते हो
तो फिर ये बताओ कि तुम उस की आँखों के बारे में क्या जानते हो