रातें किसी याद में कटती हैं और दिन दफ़्तर खा जाता है

रातें किसी याद में कटती हैं और दिन दफ़्तर खा जाता है

दिल जीने पर माएल होता है तो मौत का डर खा जाता है


सच पूछो तो 'तहज़ीब हाफ़ी' मैं ऐसे दोस्त से आज़िज़ हूँ

मिलता है तो बात नहीं करता और फोन पे सर खा जाता है