SHER•
ये आईने में जो मुस्का रहा है
By Tehzeeb Hafi
ये आईने में जो मुस्का रहा है
मेरे होठों का दुःख दोहरा रहा है
मेरी मर्ज़ी मैं उसपे जो लुटाऊ
तुम्हारी जेब से क्या जा रहा है
ये आईने में जो मुस्का रहा है
मेरे होठों का दुःख दोहरा रहा है
मेरी मर्ज़ी मैं उसपे जो लुटाऊ
तुम्हारी जेब से क्या जा रहा है