तिलिस्म-ए-यार ये पहलू निकाल लेता है

तिलिस्म-ए-यार ये पहलू निकाल लेता है

कि पत्थरों से भी खुशबू निकाल लेता है

है बे-लिहाज़ कुछ ऐसा की आँख लगते ही

वो सर के नीचे से बाजू निकाल लेता है