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तू भी कब मेरे मुताबिक मुझे दुख दे पाया

तू भी कब मेरे मुताबिक मुझे दुख दे पाया

किस ने भरना था ये पैमाना अगर खाली था

एक दुख ये कि तू मिलने नही आया मुझसे

एक दुख ये है उस दिन मेरा घर खाली था

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तू भी कब मेरे मुताबिक मुझे दुख दे पाया — Tehzeeb Hafi • ShayariPage