काली रातों को भी रंगीन कहा है मैं ने
काली रातों को भी रंगीन कहा है मैं ने
तेरी हर बात पे आमीन कहा है मैं ने

@rahat-indori
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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काली रातों को भी रंगीन कहा है मैं ने
तेरी हर बात पे आमीन कहा है मैं ने
मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया
एक पागल ने बहुत लोगों को पागल कर दिया
ज़िंदगी को ज़ख़्म की लज़्ज़त से मत महरूम कर
रास्ते के पत्थरों से ख़ैरियत मा'लूम कर
शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए
बैर दुनिया से क़बीले से लड़ाई लेते
एक सच के लिए किस किस से बुराई लेते
नए सफ़र का जो एलान भी नहीं होता
तो ज़िंदा रहने का अरमान भी नहीं होता
बैठे बैठे कोई ख़याल आया
ज़िंदा रहने का फिर सवाल आया
चराग़ों को उछाला जा रहा है
हवा पर रो'ब डाला जा रहा है
ये सर्द रातें भी बन कर अभी धुआँ उड़ जाएँ
वो इक लिहाफ़ मैं ओढूँ तो सर्दियाँ उड़ जाएँ
हौसले ज़िंदगी के देखते हैं
चलिए कुछ रोज़ जी के देखते हैं
अंधेरे चारों तरफ़ साएँ साएँ करने लगे
चराग़ हाथ उठा कर दुआएँ करने लगे
हों लाख ज़ुल्म मगर बद-दुआ' नहीं देंगे
ज़मीन माँ है ज़मीं को दग़ा नहीं देंगे
तुम्हारे नाम पर मैं ने हर आफ़त सर पे रक्खी थी
नज़र शो'लों पे रक्खी थी ज़बाँ पत्थर पे रक्खी थी
ज़िंदगी की हर कहानी बे-असर हो जाएगी
हम न होंगे तो ये दुनिया दर-ब-दर हो जाएगी
उसे अब के वफ़ाओं से गुज़र जाने की जल्दी थी
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी
नदी ने धूप से क्या कह दिया रवानी में
उजाले पाँव पटकने लगे हैं पानी में
मोहब्बतों के सफ़र पर निकल के देखूँगा
ये पुल-सिरात अगर है तो चल के देखूँगा
इसे सामान-ए-सफ़र जान ये जुगनू रख ले
राह में तीरगी होगी मिरे आँसू रख ले
जा के ये कह दे कोई शोलों से चिंगारी से
फूल इस बार खिले हैं बड़ी तय्यारी से
फ़ैसले लम्हात के नस्लों पे भारी हो गए
बाप हाकिम था मगर बेटे भिकारी हो गए