Shayari Page
GHAZAL

नदी ने धूप से क्या कह दिया रवानी में

नदी ने धूप से क्या कह दिया रवानी में

उजाले पाँव पटकने लगे हैं पानी में

ये कोई और ही किरदार है तुम्हारी तरह

तुम्हारा ज़िक्र नहीं है मिरी कहानी में

अब इतनी सारी शबों का हिसाब कौन रखे

बड़े सवाब कमाए गए जवानी में

चमकता रहता है सूरज-मुखी में कोई और

महक रहा है कोई और रात-रानी में

ये मौज मौज नई हलचलें सी कैसी हैं

ये किस ने पाँव उतारे उदास पानी में

मैं सोचता हूँ कोई और कारोबार करूँ

किताब कौन ख़रीदेगा इस गिरानी में

Comments

Loading comments…
नदी ने धूप से क्या कह दिया रवानी में — Rahat Indori • ShayariPage