@shariq-kaifi
Shariq Kaifi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Shariq Kaifi's shayari and don't forget to save your favorite ones.
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इंतिहा तक बात ले जाता हूँ मैं
अब उसे ऐसे ही समझाता हूँ मैं
जो कहता है कि दरिया देख आया
ग़लत मौसम में सहरा देख आया
ख़मोशी बस ख़मोशी थी इजाज़त अब हुई है
इशारों को तिरे पढ़ने की जुरअत अब हुई है
ये कुछ बदलाव सा अच्छा लगा है
हमें इक दूसरा अच्छा लगा है
वो दिन भी थे कि इन आँखों में इतनी हैरत थी
तमाम बाज़ीगरों को मिरी ज़रूरत थी
ख़्वाब वैसे तो इक इनायत है
आँख खुल जाए तो मुसीबत है
एक मुद्दत हुई घर से निकले हुए
अपने माहौल में ख़ुद को देखे हुए
सियाने थे मगर इतने नहीं हम
ख़मोशी की ज़बाँ समझे नहीं हम
नहीं मैं हौसला तो कर रहा था
ज़रा तेरे सुकूँ से डर रहा था
कम से कम दुनिया से इतना मिरा रिश्ता हो जाए
कोई मेरा भी बुरा चाहने वाला हो जाए