Shayari Page
GHAZAL

भीड़ में जब तक रहते हैं जोशीले हैं

भीड़ में जब तक रहते हैं जोशीले हैं

अलग अलग हम लोग बहुत शर्मीले हैं

ख़्वाब के बदले ख़ून चुकाना पड़ता है

आँखों के ये खेल बड़े ख़रचीले हैं

बीनाई भी क्या क्या धोके देती है

दूर से देखो सारे दरिया नीले हैं

सहरा में भी गाऊँ का दरिया साथ रहा

देखो मेरे पावँ अभी तक गीले हैं

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