कौन था वो जिस ने ये हाल किया है मेरा
कौन था वो जिस ने ये हाल किया है मेरा
किस को इतनी आसानी से हासिल था मैं

@shariq-kaifi
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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कौन था वो जिस ने ये हाल किया है मेरा
किस को इतनी आसानी से हासिल था मैं
फिर तुम्हारे बराबर खड़ा शख़्स कुछ इस तरह से हँसा
जैसे तुमने बताया हो उस को है ये भी दीवाना मेरा
पिछली बेंच का बच्चा है दिल
इस को हाथ उठाने देना
कौन कह सकता है उसको देखकर
ये वही है जो हमारा था कभी
तुम से बढ़कर कौन दुनिया में मेरे नज़दीक है
इक तुम्हीं तो हो कि जिसका दिल दुखा सकता हूँ मैं
ये भी इक तरकीब है दुश्मन से लड़ने की
गले लगा लो जिस पर वार नहीं कर सकते
जाइए अब घर पे जा के रोइए
आपके बस का तमाशा भी नहीं
आधा मालिक हो जाता है
पहला दावेदार किसी का
आओ गले मिल कर ये देखें
अब हम में कितनी दूरी है
मुमकिन ही नहीं जीतना कोशिश से कोई दिल
कुछ बस में नहीं बाल बनाने के अलावा
मिले तो कुछ बात भी करोगे
कि बस उसे देखते रहोगे
सब आसान हुआ जाता है
मुश्किल वक़्त तो अब आया है
झूट पर उसके भरोसा कर लिया
धूप इतनी थी कि साया कर लिया
कब तलक झाँकिए उन आँखों में
जिन में कुछ भी न हो हया के सिवा
शाम से छत पर घुम रहा हूँ
एक दिए के आगे-पीछे
जाने से कोई फ़र्क़ ही उसके नहीं पड़ा
क्या क्या समझ रहा था बिछड़ने के डर को मैं
मौत ने सारी रात हमारी नब्ज़ टटोली
ऐसा मरने का माहौल बनाया हमने
एक दिन हम अचानक बड़े हो गए
खेल में दौड़कर उसको छूते हुए
शिकारी से बचने में कैसा कमाल
निशाने पे रहना बड़ी बात है
बहुत जनाज़े थे रास्ते में
क़दम भी हम गिन न पाए अपने