जितनी चाहे पी लो लेकिन ध्यान रहे
जितनी चाहे पी लो लेकिन ध्यान रहे
तुम को घर पहुँचाने वाले अच्छे हों

@shariq-kaifi
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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जितनी चाहे पी लो लेकिन ध्यान रहे
तुम को घर पहुँचाने वाले अच्छे हों
ले आता हूँ हर रिश्ते को झगड़े तक
फिर झगड़े से काम चलाता रहता हूँ
उसकी टीस नहीं जाती है सारी उम्र
पहला धोखा पहला धोखा होता है
यहीं तक इस शिकायत को न समझो
ख़ुदा तक जाएगा झगड़ा हमारा
सफ़र हालाँकि तेरे साथ अच्छा चल रहा है
बराबर से मगर एक और रास्ता चल रहा है
सँभलता हूँ तो ये लगता है जैसे
तुम्हारे साथ धोखा कर रहा हूँ
तेरे ही लिए आएँगे तेरे पास
किसी से बिछड़कर नहीं आएँगे
अच्छे हो कर लौट गए सब घर लेकिन
मौत का चेहरा याद रहा बीमारों को
तेरी बातों में यूँ भी आ गया मैं
भटकने का बहुत दिल कर रहा था
ये काम दोनों तरफ़ हुआ है
उसे भी आदत पड़ी है मेरी