आप की याद आती रही रात भर
आप की याद आती रही रात भर
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर

@faiz-ahmad-faiz
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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आप की याद आती रही रात भर
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर
सभी कुछ है तेरा दिया हुआ सभी राहतें सभी कुल्फ़तें
कभी सोहबतें कभी फ़ुर्क़तें कभी दूरियाँ कभी क़ुर्बतें
दरबार में अब सतवत-ए-शाही की अलामत
दरबाँ का असा है कि मुसन्निफ़ का क़लम है
गो सब को बहम साग़र ओ बादा तो नहीं था
ये शहर उदास इतना ज़ियादा तो नहीं था
चश्म-ए-मयगूँ ज़रा इधर कर दे
दस्त-ए-क़ुदरत को बे-असर कर दे
हैराँ है जबीं आज किधर सज्दा रवा है
सर पर हैं ख़ुदावंद सर-ए-अर्श ख़ुदा है
हमीं से अपनी नवा हम-कलाम होती रही
ये तेग़ अपने लहू में नियाम होती रही
कुछ मोहतसिबों की ख़ल्वत में कुछ वाइ'ज़ के घर जाती है
हम बादा-कशों के हिस्से की अब जाम में कम-तर जाती है
रह-ए-ख़िज़ाँ में तलाश-ए-बहार करते रहे
शब-ए-सियह से तलब हुस्न-ए-यार करते रहे
वफ़ा-ए-वादा नहीं वादा-ए-दिगर भी नहीं
वो मुझ से रूठे तो थे लेकिन इस क़दर भी नहीं
आज यूँ मौज-दर-मौज ग़म थम गया इस तरह ग़म-ज़दों को क़रार आ गया
जैसे ख़ुश-बू-ए-ज़ुल्फ़-ए-बहार आ गई जैसे पैग़ाम-ए-दीदार-ए-यार आ गया
तिरी उमीद तिरा इंतिज़ार जब से है
न शब को दिन से शिकायत न दिन को शब से है
चाँद निकले किसी जानिब तिरी ज़ेबाई का
रंग बदले किसी सूरत शब-ए-तन्हाई का
अब जो कोई पूछे भी तो उस से क्या शरह-ए-हालात करें
दिल ठहरे तो दर्द सुनाएँ दर्द थमे तो बात करें
हम मुसाफ़िर यूँही मसरूफ़-ए-सफ़र जाएँगे
बे-निशाँ हो गए जब शहर तो घर जाएँगे
अब वही हर्फ़-ए-जुनूँ सब की ज़बाँ ठहरी है
जो भी चल निकली है वो बात कहाँ ठहरी है
हर हक़ीक़त मजाज़ हो जाए
काफ़िरों की नमाज़ हो जाए
क़र्ज़-ए-निगाह-ए-यार अदा कर चुके हैं हम
सब कुछ निसार-ए-राह-ए-वफ़ा कर चुके हैं हम
तिरे ग़म को जाँ की तलाश थी तिरे जाँ-निसार चले गए
तिरी रह में करते थे सर तलब सर-ए-रहगुज़ार चले गए
हम ने सब शेर में सँवारे थे
हम से जितने सुख़न तुम्हारे थे