हर हक़ीक़त मजाज़ हो जाए

हर हक़ीक़त मजाज़ हो जाए

काफ़िरों की नमाज़ हो जाए


दिल रहीन-ए-नियाज़ हो जाए

बेकसी कारसाज़ हो जाए


मिन्नत-ए-चारा-साज़ कौन करे

दर्द जब जाँ-नवाज़ हो जाए


इश्क़ दिल में रहे तो रुस्वा हो

लब पे आए तो राज़ हो जाए


लुत्फ़ का इंतिज़ार करता हूँ

जौर ता हद्द-ए-नाज़ हो जाए


उम्र बे-सूद कट रही है 'फ़ैज़'

काश इफ़शा-ए-राज़ हो जाए