आप की याद आती रही रात भर

आप की याद आती रही रात भर

चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर


गाह जलती हुई गाह बुझती हुई

शम-ए-ग़म झिलमिलाती रही रात भर


कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन

कोई तस्वीर गाती रही रात भर


फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले

कोई क़िस्सा सुनाती रही रात भर


जो न आया उसे कोई ज़ंजीर-ए-दर

हर सदा पर बुलाती रही रात भर


एक उम्मीद से दिल बहलता रहा

इक तमन्ना सताती रही रात भर