अब जो कोई पूछे भी तो उस से क्या शरह-ए-हालात करें

अब जो कोई पूछे भी तो उस से क्या शरह-ए-हालात करें

दिल ठहरे तो दर्द सुनाएँ दर्द थमे तो बात करें


शाम हुई फिर जोश-ए-क़दह ने बज़्म-ए-हरीफ़ाँ रौशन की

घर को आग लगाएँ हम भी रौशन अपनी रात करें


क़त्ल-ए-दिल-ओ-जाँ अपने सर है अपना लहू अपनी गर्दन पे

मोहर-ब-लब बैठे हैं किस का शिकवा किस के साथ करें


हिज्र में शब भर दर्द-ओ-तलब के चाँद सितारे साथ रहे

सुब्ह की वीरानी में यारो कैसे बसर औक़ात करें