बहुत दुश्वार है रस्ता हमारा
बहुत दुश्वार है रस्ता हमारा
नहीं कर पाओगे पीछा हमारा

@fahmi-badayuni
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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बहुत दुश्वार है रस्ता हमारा
नहीं कर पाओगे पीछा हमारा
ज़रा मोहतात होना चाहिए था
बग़ैर अश्कों के रोना चाहिए था
ये जो बाहर ख़ुदा से डर रहे हैं
बहुत कुछ दिल के अन्दर कर रहे हैं
चलती साँसों को जाम करने लगा
वो नज़र से कलाम करने लगा
दिल जब ख़ाली हो जाता है
और भी भारी हो जाता है
चारासाज़ों के बस की बात नहीं
मैं दवाओं के बस की बात नहीं
घर बनाना बहोत ज़रूरी है
क़ैदखाना बहोत ज़रूरी है
चलती साँसों को जाम करने लगा
वो नज़र से कलाम करने लगा
सहारे जाने-पहचाने बना लूँ
सुतूनों पर तिरे शाने बना लूँ
परिंदे सहमे सहमे उड़ रहे हैं
बराबर में फ़रिश्ते उड़ रहे हैं
सहराओं ने माँगा पानी
दरियाओं पर बरसा पानी
वलवले जब हवा के बैठ गए
हम भी शमएँ बुझा के बैठ गए
वो कहीं था कहीं दिखाई दिया
मैं जहाँ था वहीं दिखाई दिया
वफ़ा-दारी ग़नीमत हो गई क्या
मोहब्बत भी मुरव्वत हो गई क्या
नहीं हो तुम तो ऐसा लग रहा है
कि जैसे शहर में कर्फ़्यू लगा है
बस तुम्हारा मकाँ दिखाई दिया
जिस में सारा जहाँ दिखाई दिया
मौत की सम्त जान चलती रही
ज़िंदगी की दुकान चलती रही
जाहिलों को सलाम करना है
और फिर झूट-मूट डरना है
कोई मिलता नहीं ख़ुदा की तरह
फिरता रहता हूँ मैं दुआ की तरह
एक मेहमाँ का हिज्र तारी है
मेज़बानी की मश्क़ जारी है