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GHAZAL

बस तुम्हारा मकाँ दिखाई दिया

बस तुम्हारा मकाँ दिखाई दिया

जिस में सारा जहाँ दिखाई दिया

वो वहीं था जहाँ दिखाई दिया

इश्क़ में ये कहाँ दिखाई दिया

उम्र भर पर नहीं मिले हम को

उम्र भर आसमाँ दिखाई दिया

रोज़ दीदा-वरों से कहता हूँ

तू कहाँ था कहाँ दिखाई दिया

अच्छे-ख़ासे क़फ़स में रहते थे

जाने क्यूँ आसमाँ दिखाई दिया

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बस तुम्हारा मकाँ दिखाई दिया — Fahmi Badayuni • ShayariPage