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GHAZAL

जाहिलों को सलाम करना है

जाहिलों को सलाम करना है

और फिर झूट-मूट डरना है

काश वो रास्ते में मिल जाए

मुझ को मुँह फेर कर गुज़रना है

पूछती है सदा-ए-बाल-ओ-पर

क्या ज़मीं पर नहीं उतरना है

सोचना कुछ नहीं हमें फ़िलहाल

उन से कोई भी बात करना है

भूक से डगमगा रहे हैं पाँव

और बाज़ार से गुज़रना है

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