सहारे जाने-पहचाने बना लूँ

सहारे जाने-पहचाने बना लूँ

सुतूनों पर तिरे शाने बना लूँ

इजाज़त हो तो अपनी शायरी से

तिरे दो चार दीवाने बना लूँ

तिरा साया पड़ा था जिस जगह पर

मैं उस के नीचे तह-ख़ाने बना लूँ

तिरे मोज़े यहीं पर रह गए हैं

मैं इन से अपने दस्ताने बना लूँ

अभी ख़ाली न कर ख़ुद को ठहर जा

मैं अपनी रूह में ख़ाने बना लूँ