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GHAZAL

बहुत दुश्वार है रस्ता हमारा

बहुत दुश्वार है रस्ता हमारा

नहीं कर पाओगे पीछा हमारा

रुला देगा उसे हँसना हमारा

उसे मा'लूम है क़िस्सा हमारा

तसल्ली दे रहे हैं चारागर को

समझ लो हाल है कैसा हमारा

तुम्हारी कॉपी ने ख़ाली कराया

किताबों से भरा बस्ता हमारा

बिछड़ने वाला मुड़ कर देख लेता

तो हम को घर तो मिल जाता हमारा

ख़ुदा हाफ़िज़ अगर तुम कह के जाते

तो कुछ दिन काम चल जाता हमारा

बटन बस शर्ट में इक टाँक देते

तो सब ग़ुस्सा उतर जाता हमारा

चलो साझे में बज़्म-ए-दिल सजाएँ

सजावट आप की ख़र्चा हमारा

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बहुत दुश्वार है रस्ता हमारा — Fahmi Badayuni • ShayariPage