चारासाज़ों के बस की बात नहीं
चारासाज़ों के बस की बात नहीं
मैं दवाओं के बस की बात नहीं
चाहता हूं मैं दीमकों से नजात
जो किताबों के बस की बात नहीं
तेरी ख़ुशबू को क़ैद में रखना
इत्रदानों के बस की बात नहीं
ख़त्म कर दे अज़ाब कब्रों का
ताजमहलों के बस की बात नहीं
आंसुओं में जो झिलमिलाहट है
वो सितारों के बस की बात नहीं
ऐसा लगता है अब तेरा दीदार
सिर्फ़ आंखों के बस की बात नहीं