Shayari Page
GHAZAL

नहीं हो तुम तो ऐसा लग रहा है

नहीं हो तुम तो ऐसा लग रहा है

कि जैसे शहर में कर्फ़्यू लगा है

मिरे साए में उस का नक़्श-ए-पा है

बड़ा एहसान मुझ पर धूप का है

कोई बर्बाद हो कर जा चुका है

कोई बर्बाद होना चाहता है

लहू आँखों में आ कर छुप गया है

न जाने शहर-ए-दिल में क्या हुआ है

कटी है उम्र बस ये सोचने में

मिरे बारे में वो क्या सोचता है

बराए नाम हैं उन से मरासिम

बराए नाम जीना पड़ रहा है

सितारे जगमगाते जा रहे हैं

ख़ुदा अपना क़सीदा लिख रहा है

गुलों की बातें छुप कर सुन रहा हूँ

तुम्हारा ज़िक्र अच्छा लग रहा है

Comments

Loading comments…
नहीं हो तुम तो ऐसा लग रहा है — Fahmi Badayuni • ShayariPage