@azhar-iqbal
Azhar Iqbal shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Azhar Iqbal's shayari and don't forget to save your favorite ones.
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चले भी आओ भुला कर सभी गिले-शिकवे
बरसना चाहिए होली के दिन विसाल का रंग
तुम्हारे आने की उम्मीद बर नहीं आती
मैं राख होने लगा हूँ दिए जलाते हुए
नींद आएगी भला कैसे उसे शाम के बा'द
रोटियाँ भी न मयस्सर हों जिसे काम के बा'द
घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए
मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए
ये कैफ़ियत है मेरी जान अब तुझे खो कर
कि हम ने ख़ुद को भी पाया नहीं बहुत दिन से
एक मुद्दत से हैं सफ़र में हम
घर में रह कर भी जैसे बेघर से
हुआ ही क्या जो वो हमें मिला नहीं
बदन ही सिर्फ़ एक रास्ता नहीं
न जाने ख़त्म हुई कब हमारी आज़ादी
तअल्लुक़ात की पाबंदियाँ निभाते हुए
है अब भी बिस्तर-ए-जाँ पर तिरे बदन की शिकन
मैं ख़ुद ही मिटने लगा हूँ उसे मिटाते हुए
हर एक शख़्स यहाँ महव-ए-ख़्वाब लगता है
किसी ने हम को जगाया नहीं बहुत दिन से