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गाली को प्रणाम समझना पड़ता है

गाली को प्रणाम समझना पड़ता है

मधुशाला को धाम समझना पड़ता है

आधुनिक कहलाने की अंधी जिद में

रावण को भी राम समझना पड़ता है

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गाली को प्रणाम समझना पड़ता है — Azhar Iqbal • ShayariPage