SHER•
जब भी उसकी गली में भ्रमण होता है
By Azhar Iqbal
जब भी उसकी गली में भ्रमण होता है
उसके द्वार पर आत्मसमर्पण होता है
किस किस से तुम दोष छुपाओगे अपने
प्रिये अपना मन भी दर्पण होता है
जब भी उसकी गली में भ्रमण होता है
उसके द्वार पर आत्मसमर्पण होता है
किस किस से तुम दोष छुपाओगे अपने
प्रिये अपना मन भी दर्पण होता है