जब भी उसकी गली में भ्रमण होता है
जब भी उसकी गली में भ्रमण होता है
उसके द्वार पर आत्मसमर्पण होता है
किस किस से तुम दोष छुपाओगे अपने
प्रिये अपना मन भी दर्पण होता है
जब भी उसकी गली में भ्रमण होता है
उसके द्वार पर आत्मसमर्पण होता है
किस किस से तुम दोष छुपाओगे अपने
प्रिये अपना मन भी दर्पण होता है