SHER•9/7/2021है अब भी बिस्तर-ए-जाँ पर तिरे बदन की शिकनBy Azhar IqbalLikeShareReportHindiEnglishहै अब भी बिस्तर-ए-जाँ पर तिरे बदन की शिकन मैं ख़ुद ही मिटने लगा हूँ उसे मिटाते हुए