वो एक पक्षी जो गुंजन कर रहा है
वो एक पक्षी जो गुंजन कर रहा है
वो मुझमे प्रेम सृजन कर रहा है

@azhar-iqbal
Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world. Contemporary poet of sher, ghazal, and nazm — weaving emotion and rhythm into words loved across the Hindi–Urdu world.
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वो एक पक्षी जो गुंजन कर रहा है
वो मुझमे प्रेम सृजन कर रहा है
हो गया आपका आगमन नींद में
छू कर गुजरी मुझको जो पवन नींद में
ज़मीन-ए-दिल इक अर्से बा'द जल-थल हो रही है
कोई बारिश मेरे अंदर मुसलसल हो रही है
तुम्हारी याद के दीपक भी अब जलाना क्या
जुदा हुए हैं तो अहद-ए-वफ़ा निभाना क्या
मुझ को वहशत हुई मिरे घर से
रात तेरी जुदाई के डर से
वो माहताब अभी बाम पर नहीं आया
मिरी दुआओं में शायद असर नहीं आया
हुई न ख़त्म तेरी रहगुज़ार क्या करते
तेरे हिसार से ख़ुद को फ़रार क्या करते
तिरी सम्त जाने का रास्ता नहीं हो रहा
रह-ए-इश्क़ में कोई मो'जिज़ा नहीं हो रहा
दिल की गली में चाँद निकलता रहता है
एक दिया उम्मीद का जलता रहता है
ये बार-ए-ग़म भी उठाया नहीं बहुत दिन से
कि उस ने हम को रुलाया नहीं बहुत दिन से
गुलाब चाँदनी-रातों पे वार आए हम
तुम्हारे होंटों का सदक़ा उतार आए हम
घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए
मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए