Shayari Page
GHAZAL

घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए

घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए

मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए

ये ज़ख़्म ज़ख़्म मनाज़िर लहू लहू चेहरे

कहाँ चले गए वो लोग हँसते गाते हुए

न जाने ख़त्म हुई कब हमारी आज़ादी

तअल्लुक़ात की पाबंदियाँ निभाते हुए

है अब भी बिस्तर-ए-जाँ पर तिरे बदन की शिकन

मैं ख़ुद ही मिटने लगा हूँ उसे मिटाते हुए

तुम्हारे आने की उम्मीद बर नहीं आती

मैं राख होने लगा हूँ दिए जलाते हुए

Comments

Loading comments…
घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए — Azhar Iqbal • ShayariPage